Ravana Ke Desh Geyo Siya Ka Sandesha Liyo रावणा के देश गयो





रावणा के देश गयो,
सीया का संदेशो लायो ।
कबहू ना किनी वो तो बात अभिमान की ॥
छिन में समुंदर कूदे पल में पहाड़ लाये
लाये संजीवन बूटी लक्ष्मण के प्राण की
रावणा के देश गयो ॥

जब जब भीड़ पड़ी, तब तब आ सहाय करी
लंका तो फूँक आये रावण बेईमान की
रावणा के देश गयो ॥

कह भाई भरत दुहाई दशरथ की
जो न होते पवनसुत आवती ना जानकी
रावणा के देश गयो ॥

तुलसीदास बलिहारी हो धनुर्धारी
कहॉंतक बड़ाई करुँ वीर हनुमान की
रावणा के देश गयो॥
सीया का संदेशो लायो॥
कबहू ना किनी वो तो बात अभिमान की ॥॥

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